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Posted by Rajesh Kumar , Posted 1114 days ago

शक्ति की परिभाषा दें| तथा सत्ता से इसके सम्बन्धों की विवेचना करे |

Answer:
Answer By : Rajesh Kumar


प्रारम्भिक काल से लेकर अब तक राजनितिक विज्ञानं विषयो में विद्वानों द्वारा शक्ति के महत्त्व किया जाता है | भारत में राजनीतिक विज्ञानं के जनक कौटिल्य ने 'दण्ड -शक्ति का जो कि  शक्ति का ही पयार्य है , को राजनीतिक को मूल्य आधार माना  जाता है | और एक स्थान पर वे लिखता है ,कि  समस्त सांसारिक जीवन का मूल आधार दण्ड  - शक्ति ही है " समस्त भारतीय साहित्य दण्ड  - शक्ति के महत्त्व से भरा पड़ा  है | पाश्चात्य राजनीति विज्ञानं के अंतरगर्त भी यही बा देखि जा सकती है | बेकार (Becker ) के अनुसार ,"राजनीति  शक्ति से अपृथकनीय है " और केटलिन ने राजनीति  को " शक्ति का विज्ञानं " माना गया है | बट्रेंड़  रसाल ने तो शक्ति को समाज विज्ञानं की मुलभुत अवधारणा के रूप में माना  जाता है | 
                         शक्ति  अर्थ एवं परिभाषा  

            रॉबर्ट  ए  . डैल  के अनुसार शक्ति के अध्ययन की प्रमुख कठिनाई यह है कि इसके अनेक अर्थ होते हैं | वस्तुस्थिति यही है की और शक्ति को विभित्र विचारो ने अलग -अलग रूप से परिभाषित किया है | तथा शक्ति की कुछ विशेषताएँ इस प्रकार है | 
          राबर्ट  ए  .बायसर्टेड के अनुसार "शक्ति बल प्रयोग की योग्यता है न कि  उसका वास्तविक प्रयोग |" 
          मैकाइवर " शक्ति होने से हमारा अर्थ व्यक्तियों के व्यवहार को नियंत्रित करने,विनियमित  करने या निर्देशित करने की क्षमता से है | "
           मार्गेंथाऊ " शक्ति का प्रयोग करने वालो तथा उनके बीच , जिन पर इसे लागु किया जा रहा है | वह एक मनोविज्ञानिक सम्बन्ध कहलाता है ,तथा शक्ति में वह प्रत्येक व्यक्ति सम्मलित होती है | जिनके माध्यम से व्यक्ति पर निययन्त्रण स्थापित किया जाता और उसे  बनाये रखा जाता है | 
    गोल्डहैमर तथा शील्स -- गोल्डहैमर तथा शील्स के अनुसार एक व्यक्ति को इतना ही शक्तिशाली कहा जाता है | जीतना  की वह अपनों लक्ष्यों के अनुरूप दुसरो के व्यवहार को प्रभावित कर सकता है | 
         वास्तव में शक्ति मानव जीवन का एक सरल तत्व  होने का स्थान पर बहुत अधिक जटिल और मैकाइवर के अनुसार एक बहुपक्षीय तत्व है | तथा शक्ति का सही रूप जानने के लिए , अनेक बातो का उल्लेख करना होगा |   उद्धरण के लिए प्रधान मंत्री शक्ति का स्रोत , तथा क्षेत्र एवं आधार क्या है , मंत्रिमंडल पर अपनी शक्ति का प्रयोग करने के लिए प्रधान मंत्री द्वारा कौन - कौन से साधन अपनाये जाते है , तथा मंत्रिमंडल पर शक्ति की मात्रा कितनी है तथा यह शक्ति कितनी व्यापक है | 
        निष्कर्ष  राजनीतिक  शक्ति  सम्बन्ध में  तीन  बाते  कही जा सकती हैं | 
प्रथम ;-- राजनीतिक  शक्ति धारण करने वालो उच्च - अधीनस्थ प्रकट होना स्वाभाविक है | 
द्वितीय ;--  राजनीतिक  शक्ति  का प्रयोग अन्तोगत्वा सामान्य जनता पर होता है | और उसे सत्ता का प्रयोग करने वालो की बात माननी  होती है | 
तृतीय ;-- राजनीतिक  शक्ति मनोवैज्ञानिक सम्बन्ध प्रकट कराती है , न कि  भौ
तिक सम्बन्ध है | 
शक्ति और सत्ता के बीच संबंध (Relation between  Power and Authority ) -- राजनीतिक संगठन उन संरचनाओं द्वारा निर्मित  , जो बल  का नियमन कराती है तथा सामाजिक सहयोग और नेतृत्व से सम्बंधित होती है | शक्ति व्यक्ति समूह , तथा भौतिक परिस्थितियों के प्रतिरोध के होते हुए भी स्वतंत्र कार्य करने  क्षमता का नाम है | उन्हें अपनी इच्छा को प्रभावशाली ढंग से पूर्ण करने की योग्यता  के रूप में दिखा जा सकता है | जिनमे दूसरे राज्यों पर अनधिकृत रूप से अधिकार किया गया अथवा उन पर विजय प्राप्त की गयी , किन्तु बाद में धीरे - धीरे उन्हें जनस्वीकृत   प्राप्त हो गयी और वे सत्ता बन गए | तथा  बीना शक्ति  असंस्थायीकृत , असाधनात्मक , परिस्थितिजन्य एवं अनिश्चित होती है | तथा शक्ति में इस प्रकार की स्पष्टता एवं निश्चितता का आभाव होता है | 
           'Political Power ' में शक्ति और सत्ता में कोई भेद  नहीं किया है , लेकिन वास्तव में  इस प्रकार का दृष्ट कोण उचित नहीं है | तथा शक्ति दमन का यंत्र है और इसका प्रभाव भौतिक  होता है | तथा अनेकह राजनितिक और सामाजिक संस्थाएँ ऐसी है ,जोकि  बहुत अधिक  प्रयोग कराती है  किन्तु केवल सहमित पर आधारित है  | शिक्षक , पत्रकार , और जनसेवक की सत्ता शक्ति पर   आधारित नहीं होती है फिर भी इसका अधिक सम्म्मान किया जाता  है | 
राजनीतिक  व्यवस्थाओ और संगठनों में अनेक ऐसे उदहारण मिलते है कि  वरिष्ठ व्यक्तियों के पास केवल सत्ता है और अधीनस्थ या व्यक्तियों के पास अधिक शक्ति ,  लेकिन यह अवांछित स्थिति है | इन दोनों का उचित सन्तुलन राजनीति  की एक शाश्वत समस्या  है,  जिसे सफल  नेतृत्व के द्वारा सुलझाया जा सकता है | राजनीतिक व्यवस्था और संगठनों में सत्ता और शक्ति को सामान्य  रूप से संयुक्त किया जाता है और ऐसे किया जाना आवश्यक है क्योकि अत्यंत लोकप्रिय शासक को भी शासक सत्ता के संचालन के लिए  सत्ता और शक्ति दोनों की आवश्यकता होती   

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